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30 days festival - ritual competition 16 -Nov-2022 (36)नवरोज, फ़ारसी समुदाय का लोकप्रिय त्यौहार



शीर्षक  =नवरोज, फ़ारसी समुदाय  का लोकप्रिय त्यौहार 


हिंदुस्तान के दक्षिण प्रान्त में जिनमे केरला, तमिलनाडु, महाराष्ट्र इत्यादि आते है, वहाँ रहने वाले फ़ारसी समुदाय के लोगो द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार नवरोज़ है, जिसे पारसी समुदाय  बहुत धूम धाम से मनाता है, आइये जानते है  इस त्यौहार के बारे में



नौरोज़ या नवरोज़ (शाब्दिक रूप से "नया दिन"), ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है। प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है। यह त्योहार समाज को विशेष वातावरण प्रदान करता है, क्योंकि नववर्ष की छुट्टियां आरंभ होने से लोगों में जो ख़ुशी व उत्साह दिखाता है वह पूरे वर्ष में नहीं दिखता।[1]


उद्गम

हिजरी शमसी कैलेण्डर के अनुसार नौरोज़ या पहली फ़रवरदीन नव वर्ष का उत्सव दिवस है। नौरोज़ का उदगम तो प्राचीन ईरान ही है किंतु वर्तमान समय में ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमनिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, आज़रबाइजान, भारत, तुर्की, इराक़ और जार्जिया के लोग नौरोज़ के उत्सव मनाते हैं। नौरोज़ का उत्सव "इक्वीनाक्स" से आरंभ होता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है समान। खगोलशास्त्र के अनुसार यह वह काल होता है जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं। इक्वीनाक्स उस क्षण को कहा जाता है कि जब सूर्य, सीधे भूमध्य रेखा से ऊपर होकर निकलता है। हिजरी शमसी कैलेण्डर का नव वर्ष इसी समय से आरंभ होता है और यह नए वर्ष का पहला दिन होता है। ईसवी कैलेण्डर के अनुसार नौरोज़ प्रतिवर्ष 20 या 21 मार्च से आरंभ होता है।[2]

उद्देश्य

यह एक ऐसा बेहतरीन अवसर होता है जो पिछले वर्ष की थकावट व दिनचर्या के कामों से छुटकारा व विश्राम की संभावना उत्पन्न कराता है। नववर्ष, अतीत पर दृष्टि डालने और आने वाले जीवन को उत्साह व ख़ुशियों से भर अनुभव से जारी रखने का नाम है। प्रकृति की हरियाली और हरी भरी पत्तियों से वृक्षों का श्रंगार, नये व उज्जवल भविष्य का संदेश सुनाती है। इस अवसर पर प्रचलित बेहतरीन परंपराओं में से एक है सगे संबंधियों से भेंट। इस परंपरा में इस्लाम धर्म में बहुत अधिक बल दिया गया है। यहाँ तक कि नौरोज़ को सगे संबंधियों से भेंट और अपने दिल की बात बयान करने का बेहतरीन अवसर माना जाता है जो परिवारों के मध्य लोगों के संबंधों को अधिक सृदृढ़ करता है। यह त्योहार समाज में नववर्ष के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।[3]


ईरान

नौरोज़ ईरान में सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है, इसी दिन देश का आधिकारिक नया वर्ष शुरू होता है। यह फरवरदिन का पहला दिन होता है और ईरानी सोलर कैलंडर का पहला महिना भी होता है। ईरान में परिवार मिल कर नए वर्ष को मनाते हैं।





पारसी धर्म में नौरोज़ संबंधी कथा 

शाहनामा नौरोज़ के त्यौहार को महान जमशेद के शासनकाल से जोड़ता है। पारसी ग्रंथों के मुताबिक़ जमशेद ने मानवता की एक ऐसे मारक शीतकाल से रक्षा की थी जिसमें पृथ्वी से जीवन समाप्त हो जाने वाला था।यह पौराणिक राजा जमशेद, पुरा-ईरानी लोगों के शिकारी से पशुपालक के रूप में परिवर्तन और अधिक स्थाई जीवन शैली अपनाने के काल का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। शाहनामा और अन्य ईरानी मिथकशास्त्रों में जमशेद द्वारा नौरोज़ की शुरुआत करने का वर्णन मिलता है। पुस्तक के अनुसार, जमशेद ने एक रत्नखचित सिंहासन का निर्माण करवाया और उसे देवदूतों द्वारा पृथ्वी से ऊपर उठवाया और स्वर्ग मने स्थापित करवाया तथा इसके बाद उस सिंहासन पर सूर्य की तरह दीप्तिमान होकर बैठा। दुनियावी लोग और जीव आश्चर्य से उसे देखने हेतु इकठ्ठा हुए और उसके ऊपर मूल्यवान वस्तुयें चढ़ाईं, और इस दिन कोई नया दिन (नौ रोज़) कहा। यह ईरानी कालगणना के अनुसार फ़रवरदीं माह का पहला दिन था।[6]



विषुव के दिन सूर्य की किरणें और इनसे निर्मित प्रकाशवृत्त की दशा

ईरानी कैलेंडर का पहला दिन लगभग 21 मार्च के आसपास वसंत विषुव को पड़ता है। विषुव के समय सूर्य विषुवत रेखा पर सीधा चमकता है और दोनों ध्रुव प्रकाश वृत्त पर पड़ते हैं। प्रकाश वृत्त का बराबर भाग उत्तरी व दक्षिणी गोलार्धों में पड़ता है और इस दिन पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर दिन और रात की अवधि बराबर होती है। प्रतिवर्ष घटित होने वाली इस खगोलीय महत्व की घटना को धार्मिक-सांकृतिक उत्सवों से भी जोड़ा जाता है और कई धर्मों के त्यौहार इस दिन मनाये जाते हैं।

11वीं सदी ईसवी के आसपास, ईरानी कैलेंडर में कई सुधार किये गये, जिनका प्राथमिक उद्देश्य वर्ष का पहला दिन तय करना था, अर्थात नौरोज़ को वसंत विषुव के दिन स्थापित करना था। इसी अनुसार, ईरानी विद्वान तूसी ने नौरोज़ को परिभाषित करते हुए लिखा है, "आधिकारिक वर्ष का प्रथम दिवस (नौरोज़) हमेशा से वह दिन होता था जिस दिन मध्याह्न से पहले सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है।



30 days फेस्टिवल / रिचुअल हेतु लिखा गया लेख  

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3 Comments

Gunjan Kamal

18-Nov-2022 08:47 AM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Prbhat kumar

17-Nov-2022 07:02 PM

बहुत खूब

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Alka jain

17-Nov-2022 05:05 PM

Nice

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